प्राथमिक स्तर के बच्चे कल के भावी वैज्ञानिक है, उनमें विज्ञान विषय के प्रति उत्साह को बनाये रखाना और प्रोत्साहन आवश्यक है । यहॉ पर सरल और रोचक पॉच विज्ञान प्रयोग दिये जा रहे है, आप घर पर भी आसानी से कर सकते है । बच्चोंं को करवाये और इसे करने में उनकी सहायता व सुविधा प्रदान करें ।
काली मिर्च का जादू मंत्र –
जल के पृष्ठ तनाव से संबंधित यह एक रोचक प्रयोग है, इस प्रयोग से हम बच्चों में जल के पृष्टीय तनाव से संबंधित अवधारणा की अच्छी से समझ बना सकते हैं।
सामग्री – काली मिर्च पाउडर, साबुन, पानी, प्लेट का
प्रयोग – सर्वप्रथम प्लेट में पानी डालें, फिर उसमें ऊपर से काली मिर्च का पाउडर डालते है । अब हम अपने एक उंगली में साबुन लगा लेते है । अब जैसे ही हम साबुन लगी हुई उंगली को पानी की सतह पर रखते है तो होता है जादू । अरे हॉ काली मिर्च के पाउडर तेजी के साथ उंगली से दूर भागने लगते है ।
काली मिर्च के पाउडर से दूर भागना बड़ा ही रोचक और मजेदार होता है आप जरूर देखें । उंगली में साबुन लगने के कारण जैसे कि जल की सतह को छुआ जाता है तो जल का पृष्टीय तनाव टूट जाता है और काली मिर्च का पाउडर दूर हट जाता है।
इंद्रधनुष के सात रंग –
सामग्री – एक छोटा दर्पण, एक पानी से भरा पात्र (जिसमें दर्पण को व्यवस्थित किया जा सके) ।
क्रिया विधि – सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में पानी से भरे बर्तन में दर्पण को डालकर उसे तिरछा रखते है । अब इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि दर्पण का आधे से अधिक भाग पानी में डूबा हुआ हो और आपतित सूर्य प्रकाश दर्पण से होते हुए किसी दिवार या पर्दे पर पड़े । हम देखते हैं कि दर्पण द्वारा परावर्तित प्रकाश सात रंगों में विभक्त होकर दीवार में सतरंगी इंद्रधनुष का निर्माण करती है । हम स्पष्टता इन रंगों को देख सकते हैं ।
सूर्य का प्रकाश अलग-अलग सात रंग के प्रकाश से मिलकर बना होता है । प्रकाश के सातों रंगों का तरंगधैर्य अलग-अलग होता है जिस कारण प्रकाश का प्रिज्म और प्रिज्म जैसी व्यवस्था के द्वारा अपवर्तन होने पर अलग-अलग भी विचलन दर्शाती है जिससे कि अलग-अलग साथ रंगों में विभक्त हो जाती है । पानी में दर्पण की व्यवस्था एक प्रिज्म की भांति व्यवहार करती है और श्वेत प्रकाश को सात रंगों में विभक्त कर देती है ।
आलू को पानी में तैराना ।
सामग्री – एक आलू – काटने के लिए चाकू, दो गिलास, नमक और पानी ।
प्रयोग विधि – सर्वप्रथम दोनों गिलासों में पानी भर लेते हैं और एक गिलास के पानी में 2 बड़े चम्मच नमक खोल देते हैं । अब एक आलू को चाकू की सहायता से दो बराबर भागों में काटकर दोनों गिलास में डाल देते हैं । हम देखते हैं कि सादे जल वाले गिलास का आलू जल में डूब जाता है, जबकि नमक युक्त जल वाले गिलास का पानी में आलू तैरने लगता है ।
सामान्यता आलू पानी में डूब जाता है क्योंकि इनका घनत्व पानी से अधिक होता है । परंतु जल में नमक घोलने पर जल का घनत्व आलू से अधिक हो जाता है और आलू पानी में तैरने लगता है । इस प्रयोग में हम आलु के स्थान पर अंडा भी ले सकते है ।
वायुदाब से चलने वाला नल
सामग्री – एक प्लास्टिक बोतल, स्ट्रा, प्लास्टिक चिपकाने वाला ग्लू ।
क्रियाविधि – एक खाली बोतल लेते हैं और उसके आधे से कुछ नीचे के भाग में एक छेद कर देते हैं । अब स्ट्रा पाइप को 1 इंच काटकर ग्लू की सहायता से बोतल के छेद में फिट कर देते हैं ।
फिर बोतल में पानी भर देते हैं और ढक्कन को लगा देते हैं ।
हम देखते हैं कि बोतल का ढक्कन टाइट होने पर इस स्ट्रासे पानी नहीं निकलता और जैसे ही हम ढक्कन को थोड़ा ढीला करते हैं तो स्ट्रा से पानी निकलने लगता है ।
बोतल का ढक्कन टाइट होने पर उसके अंदर का वायुदाब कम हो जाता है और जैसे ही ढक्कन को ढीला करते हैं तो बोतल के अंदर का वायुदाब बढ़ जाता है जो पानी को छेद से बाहर जाने देता है ।
पानी का प्रयोग कर चित्र को फ्लिप करना
सामग्री – एक कांच का गिलास एक सफेद कागज में बना चित्र ।
एक कागज में कोई चित्र बना लेते हैं और उसके सामने खाली गिलास रखते हैं गिलास में से देखने पर चित्र सीधी दिखाई पड़ती है पर जैसे ही हम गिलास में पानी भरते हैं तो चित्र की दिशा उलट जाती है ।
कांच के गिलास में पानी डालने पर वह उत्तल लेंस की भांति व्यवहार करने लगता है और उत्तल लेंस से उल्टा प्रतिबिंब बनता है । अर्थात जब गिलास खाली था तो वह सामान्य कांच की भांति व्यवहार करता है और चित्र सीधी दिखाई पड़ती है परंतु पानी से भरा हुआ गिलास उत्तल लेंस की भांति होने के कारण चित्र की दिशा उलट जाती है ।